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कहानियां मनोरंजक और आनंदप्रद दोनों हो सकती हैं। वे अंतर्दृष्टि और ज्ञान से भरी हो सकती हैं, ख़ासकर जब उन्होंने सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी सफ़र किया हो, और हर पुनर्कथन के साथ नए अर्थ अपनाए और छोड़े हों। इस विधा-परिवर्तक, श्रृंखला की पहली किताब में अमीश और भावना भारतीय दर्शन की कुछ मुख्य अवधारणाओं को खंगालने के लिए भारत के प्राचीन महाकाव्यों के अनमोल ख़ज़ाने के साथ-साथ अमीश के मेलूहा (उनकी शिव रचना त्रयी और राम चंद्र श्रृंखला के माध्यम से) के विशाल और जटिल संसार में गहरे उतरते हैं।

विचार और कार्य, लेने और देने, आत्मप्रेम और त्याग के बीच आदर्श परस्पर क्रिया क्या है? हम सही और ग़लत में कैसे भेद कर सकते हैं? अपना बेहतरीन पक्ष बाहर लाने, और अहं और सांसारिक आवश्यकताओं से चालित जीवन की बजाय एक उद्देश्यपूर्ण और सार्थक जीवन जीने के लिए हम क्या कर सकते हैं? उत्तर निहित हैं हमारी इन मनपसंद कहानियों की सीधी-सरल और ज्ञानपूर्ण व्याख्याओं में, जो प्रस्तुत कर रहे हैं बहुत प्यारे ऐसे काल्पनिक पात्र जिन्हें जानने में आपको बहुत आनंद आएगा।

About the Author

अमीश, 1974 में जन्मे, आई.आई.एम. (कोलकाता) से प्रशिक्षित, एक बोरिंग बैंकर से एक सफल लेखक में रूपांतरित हुए हैं। अपने पहले उपन्यास मेलूहा के मृत्युंजय (शिव रचना त्रयी का प्रथम भाग) की अपार सफलता ने आपको फ़ाइनेंशियल सर्विस का अपना चौदह साल का कैरियर छोड़कर लेखन क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित किया। इतिहास, पौराणिक कथाओं, दर्शन एवं विश्व के सभी धर्मों के सौंदर्य और उनके अर्थ को समझने में आपकी गहन रुचि है। अमीश की पुस्तकों की पचपन लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं और उनका उन्नीस से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

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भावना रॉय की शिक्षा मसूरी, पुणे और मुंबई में हुई थी। मुंबई यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में डिग्री प्राप्त करने के बाद आपने पहले मालेगांव में विशिष्ट बच्चों के एक स्कूल में वॉलंटियर के रूप में काम किया, और बाद में नासिक में एसओएस नाम के एक ग़ैरसरकारी संगठन में। आप महाराष्ट्र कैडर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्वर्गीय हिमांशु रॉय, आईपीएस, की पत्नी हैं। आप मुंबई में रहती हैं।

9789391234690
out of stock INR 239
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Dharma Sarthak Jeevan Ke Liye Mahakavyon Ki Mimansa (hindi)

ISBN: 9789391234690
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Details
  • ISBN: 9789391234690
  • Author: Amish Bhavna Roy
  • Publisher: Eka
  • Pages: 222
  • Format: Paperback
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Book Description

कहानियां मनोरंजक और आनंदप्रद दोनों हो सकती हैं। वे अंतर्दृष्टि और ज्ञान से भरी हो सकती हैं, ख़ासकर जब उन्होंने सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी सफ़र किया हो, और हर पुनर्कथन के साथ नए अर्थ अपनाए और छोड़े हों। इस विधा-परिवर्तक, श्रृंखला की पहली किताब में अमीश और भावना भारतीय दर्शन की कुछ मुख्य अवधारणाओं को खंगालने के लिए भारत के प्राचीन महाकाव्यों के अनमोल ख़ज़ाने के साथ-साथ अमीश के मेलूहा (उनकी शिव रचना त्रयी और राम चंद्र श्रृंखला के माध्यम से) के विशाल और जटिल संसार में गहरे उतरते हैं।

विचार और कार्य, लेने और देने, आत्मप्रेम और त्याग के बीच आदर्श परस्पर क्रिया क्या है? हम सही और ग़लत में कैसे भेद कर सकते हैं? अपना बेहतरीन पक्ष बाहर लाने, और अहं और सांसारिक आवश्यकताओं से चालित जीवन की बजाय एक उद्देश्यपूर्ण और सार्थक जीवन जीने के लिए हम क्या कर सकते हैं? उत्तर निहित हैं हमारी इन मनपसंद कहानियों की सीधी-सरल और ज्ञानपूर्ण व्याख्याओं में, जो प्रस्तुत कर रहे हैं बहुत प्यारे ऐसे काल्पनिक पात्र जिन्हें जानने में आपको बहुत आनंद आएगा।

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अमीश, 1974 में जन्मे, आई.आई.एम. (कोलकाता) से प्रशिक्षित, एक बोरिंग बैंकर से एक सफल लेखक में रूपांतरित हुए हैं। अपने पहले उपन्यास मेलूहा के मृत्युंजय (शिव रचना त्रयी का प्रथम भाग) की अपार सफलता ने आपको फ़ाइनेंशियल सर्विस का अपना चौदह साल का कैरियर छोड़कर लेखन क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित किया। इतिहास, पौराणिक कथाओं, दर्शन एवं विश्व के सभी धर्मों के सौंदर्य और उनके अर्थ को समझने में आपकी गहन रुचि है। अमीश की पुस्तकों की पचपन लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं और उनका उन्नीस से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

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भावना रॉय की शिक्षा मसूरी, पुणे और मुंबई में हुई थी। मुंबई यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में डिग्री प्राप्त करने के बाद आपने पहले मालेगांव में विशिष्ट बच्चों के एक स्कूल में वॉलंटियर के रूप में काम किया, और बाद में नासिक में एसओएस नाम के एक ग़ैरसरकारी संगठन में। आप महाराष्ट्र कैडर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्वर्गीय हिमांशु रॉय, आईपीएस, की पत्नी हैं। आप मुंबई में रहती हैं।

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