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9789393267184 62c814875bb88910da3fd47e Raidas Kaljayi Kavi Aur Unka Kavya https://www.midlandbookshop.com/s/607fe93d7eafcac1f2c73ea4/62c814885bb88910da3fd499/51jp9o1nyil-_sx321_bo1-204-203-200_.jpg
"गागर में सागर की तरह इस पुस्तक में हिन्दी के कालजयी कवियों की विशाल काव्य-रचना में से श्रेष्ठतम और प्रतिनिधि काव्य का संकलन विस्तृत विवेचन के साथ प्रस्तुत है। रैदास (1410-1500) भक्ति आंदोलन के बड़े और महत्त्वपूर्ण संत कवि हैं। उनके लेखन की सबसे बड़ी विशेषता अपनी जातीय अस्मिता है। मध्यकाल के सीमित समझे जाने वाले सामाजिक परिवेश में अपनी हैसियत और जाति के प्रति ऐसा अकुंठ स्वाभिमान समूचे भक्ति साहित्य में उन्हें विशिष्ट बनाता है। अपनी निर्गुण भक्ति में रैदास जीव और ब्रह्म को एक मानते हैं। मनुष्य को ईश्वर भक्ति और समता के मार्ग से भटकाने वाली माया की निन्दा उनके यहाँ भी बार-बार मिलती है। प्रस्तुत चयन में रैदास के काव्य संसार से चुनकर पाँच खण्डों में उनकी श्रेष्ठ रचनाओं का चयन प्रस्तुत किया गया है। इन चयनित कविताओं में रैदास की जातीय अस्मिता की चेतना और भक्ति की अनन्यता इसे पठनीय और संग्रहणीय बनाने वाली हैं। इस चयन का सम्पादन डॉ माधव हाड़ा ने किया है जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ विद्वान के रूप में है। उदयपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. हाड़ा मध्यकालीन साहित्य और कविता के विशेषज्ञ हैं। इन दिनों डॉ. हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला की पत्रिका चेतना के सम्पादक हैं।"
9789393267184
in stock INR 167
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Raidas Kaljayi Kavi Aur Unka Kavya

ISBN: 9789393267184
₹167
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Details
  • ISBN: 9789393267184
  • Author: Madhav Hada
  • Publisher: Rajpal And Sons
  • Pages: 112
  • Format: Paperback
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Book Description

"गागर में सागर की तरह इस पुस्तक में हिन्दी के कालजयी कवियों की विशाल काव्य-रचना में से श्रेष्ठतम और प्रतिनिधि काव्य का संकलन विस्तृत विवेचन के साथ प्रस्तुत है। रैदास (1410-1500) भक्ति आंदोलन के बड़े और महत्त्वपूर्ण संत कवि हैं। उनके लेखन की सबसे बड़ी विशेषता अपनी जातीय अस्मिता है। मध्यकाल के सीमित समझे जाने वाले सामाजिक परिवेश में अपनी हैसियत और जाति के प्रति ऐसा अकुंठ स्वाभिमान समूचे भक्ति साहित्य में उन्हें विशिष्ट बनाता है। अपनी निर्गुण भक्ति में रैदास जीव और ब्रह्म को एक मानते हैं। मनुष्य को ईश्वर भक्ति और समता के मार्ग से भटकाने वाली माया की निन्दा उनके यहाँ भी बार-बार मिलती है। प्रस्तुत चयन में रैदास के काव्य संसार से चुनकर पाँच खण्डों में उनकी श्रेष्ठ रचनाओं का चयन प्रस्तुत किया गया है। इन चयनित कविताओं में रैदास की जातीय अस्मिता की चेतना और भक्ति की अनन्यता इसे पठनीय और संग्रहणीय बनाने वाली हैं। इस चयन का सम्पादन डॉ माधव हाड़ा ने किया है जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ विद्वान के रूप में है। उदयपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. हाड़ा मध्यकालीन साहित्य और कविता के विशेषज्ञ हैं। इन दिनों डॉ. हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला की पत्रिका चेतना के सम्पादक हैं।"

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