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वसीम बरेलवी की रचनायें खास व आम दोनों ही तरह के लोगों की ज़बान पर रहते हैं I इनकी इन्हीं रचनाओं का संकलन है चराग I आसान और आम फ़हम ज़बान का इस्तेमाल कर वसीम की शायरी सभी का दिल जीत लेती है I चराग में वसीम बरेलवी अपना जुड़ाव इस युग, माहौल और मिट्टी से भरपूर दर्शाते हैं I वह सिर्फ़ काल्पनिक दुनिया की बातें नहीं करते बल्कि अपने आस-पास से पूरी तरह बाख़बर रहते हैं और जदीद मौजूआत, अर्थात समकालीन समस्याओं और घटनाओं पर पूरी नज़र रखते हुए इन्हें अपनी शायरी का हिस्सा बनाते हैं I

About the Author

वसीम बरेलवी का सम्बन्ध मुरादाबाद के जागीरदारी घराने से है I इस घराने में बड़े-बड़े महान विद्यावान और साहित्यकार होते रहे हैं I उन्होंने 1958 में आगरा विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए. किया I जल्दी ही उनकी नियुक्ति देहली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में हो गयी I इसी दौरान उन्होंने मुशायरों में जाना शुरू कर दिया I कई ज़गह नियुक्ति के बाद जून 2000 में डीन के पद से कार्यमुक्त होकर वः पूर्ण रूप से शायरी को समर्पित हो गए I देश-विशेष में उन्हें असंख्य अवार्ड और सम्मान मिल चुके हैं I हिंदी उर्दू साहित्य अवॉर्ड , कैफ़ी आज़मी अदबी अवॉर्ड, फ़िराक इंटरनेशनल अवॉर्ड और अली सरदार जाफ़री अवॉर्ड यू.स.ए. शुरू होने के बाद सबसे पहले उन्हें ही प्रदान किए गए I
9789387383241
in stock INR 280
1 1

Charag

ISBN: 9789387383241
₹280
₹299   (6% OFF)


Details
  • ISBN: 9789387383241
  • Author: Waseem Barelvi
  • Publisher: Manjul
  • Pages: 174
  • Format: Paperback
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Book Description

वसीम बरेलवी की रचनायें खास व आम दोनों ही तरह के लोगों की ज़बान पर रहते हैं I इनकी इन्हीं रचनाओं का संकलन है चराग I आसान और आम फ़हम ज़बान का इस्तेमाल कर वसीम की शायरी सभी का दिल जीत लेती है I चराग में वसीम बरेलवी अपना जुड़ाव इस युग, माहौल और मिट्टी से भरपूर दर्शाते हैं I वह सिर्फ़ काल्पनिक दुनिया की बातें नहीं करते बल्कि अपने आस-पास से पूरी तरह बाख़बर रहते हैं और जदीद मौजूआत, अर्थात समकालीन समस्याओं और घटनाओं पर पूरी नज़र रखते हुए इन्हें अपनी शायरी का हिस्सा बनाते हैं I

About the Author

वसीम बरेलवी का सम्बन्ध मुरादाबाद के जागीरदारी घराने से है I इस घराने में बड़े-बड़े महान विद्यावान और साहित्यकार होते रहे हैं I उन्होंने 1958 में आगरा विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए. किया I जल्दी ही उनकी नियुक्ति देहली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज में हो गयी I इसी दौरान उन्होंने मुशायरों में जाना शुरू कर दिया I कई ज़गह नियुक्ति के बाद जून 2000 में डीन के पद से कार्यमुक्त होकर वः पूर्ण रूप से शायरी को समर्पित हो गए I देश-विशेष में उन्हें असंख्य अवार्ड और सम्मान मिल चुके हैं I हिंदी उर्दू साहित्य अवॉर्ड , कैफ़ी आज़मी अदबी अवॉर्ड, फ़िराक इंटरनेशनल अवॉर्ड और अली सरदार जाफ़री अवॉर्ड यू.स.ए. शुरू होने के बाद सबसे पहले उन्हें ही प्रदान किए गए I

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