Shop No.20, Aurobindo Palace Market, Hauz Khas, Near Church +91 9818282497 | 011 26867121 110016 New Delhi IN
Midland The Book Shop ™
Shop No.20, Aurobindo Palace Market, Hauz Khas, Near Church +91 9818282497 | 011 26867121 New Delhi, IN
+919871604786 https://www.midlandbookshop.com/s/607fe93d7eafcac1f2c73ea4/677cda367903fd013d69b606/without-tag-line-480x480.png" [email protected]
9780143458852 63173fdf8a56c8922cceb898 Narendra Mohini https://www.midlandbookshop.com/s/607fe93d7eafcac1f2c73ea4/63173fe08a56c8922cceba16/41qdise4rpl-_sx319_bo1-204-203-200_.jpg

इस उपन्यास में लेखक ने बिहार के दो राजाओं के पुत्र और पुत्रियों की प्रेमगाथा का वर्णन किया है। नरेंद्र रंभा से विवाह न कर घर से भाग जाता है, और मोहिनी के प्रेम जाल में फँस जाता है। मोहिनी की दो बहनें हैं केतकी और गुलाब। बाद में केतकी के घर नरेंद्र और रंभा की भेंट होती है और दोनों विवाह करना चाहते हैं। लेकिन यहां पर मोहिनी आड़े आ जाती है। आगे क्या होता है यह तो उपन्यास पढ़कर ही पता चलेगा।

About the Author

बाबू देवकीनन्दन खत्री हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होने चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति, काजर की कोठरी, नरेंद्र-मोहिनी, कुसुम कुमारी, वीरेंद्र वीर, गुप्त गोदना, कटोरा भर, भूतनाथ जैसी रचनाएं की। बाबू देवकीनंदन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिंदीभाषियों के बीच लोकप्रिय बनाया। जितने हिन्दी पाठक उन्होंने (बाबू देवकीनंदन खत्री ने) उत्पन्न किए उतने किसी और ग्रंथकार ने नहीं।
9780143458852
out of stock INR 179
1 1

Narendra Mohini

ISBN: 9780143458852
₹179
₹199   (10% OFF)


Back In Stock Shortly - Fill The Book Request Form

Details
  • ISBN: 9780143458852
  • Author: Devkinandan Khatri
  • Publisher: Hind Pocket Books
  • Pages: 152
  • Format: Paperback
SHARE PRODUCT

Book Description

इस उपन्यास में लेखक ने बिहार के दो राजाओं के पुत्र और पुत्रियों की प्रेमगाथा का वर्णन किया है। नरेंद्र रंभा से विवाह न कर घर से भाग जाता है, और मोहिनी के प्रेम जाल में फँस जाता है। मोहिनी की दो बहनें हैं केतकी और गुलाब। बाद में केतकी के घर नरेंद्र और रंभा की भेंट होती है और दोनों विवाह करना चाहते हैं। लेकिन यहां पर मोहिनी आड़े आ जाती है। आगे क्या होता है यह तो उपन्यास पढ़कर ही पता चलेगा।

About the Author

बाबू देवकीनन्दन खत्री हिंदी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होने चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति, काजर की कोठरी, नरेंद्र-मोहिनी, कुसुम कुमारी, वीरेंद्र वीर, गुप्त गोदना, कटोरा भर, भूतनाथ जैसी रचनाएं की। बाबू देवकीनंदन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिंदीभाषियों के बीच लोकप्रिय बनाया। जितने हिन्दी पाठक उन्होंने (बाबू देवकीनंदन खत्री ने) उत्पन्न किए उतने किसी और ग्रंथकार ने नहीं।

User reviews

  0/5